इस प्रकार के राष्ट्रीय शिक्षा-प्रणालियों का विकास हो कि वर्तमान चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक कर सके और उसका जीवन ग्रामीण , वनवासी, गिरीकंदराओं एवं झुग्गी झोपड़ियों में निवास करने वाले दीन- दुखी अभावग्रस्त अपने बांधवों को सामाजिक कुरीतियों , शोषण एवं अन्याय से मुक्त कराकर राष्ट्र जीवन को समरस सुसंपन्न एवं सुसंस्कृत बनाने के लिए समर्पित हो ।